कोरोना वैक्सीन बनाने को लेकर देशों के बीच लगी है होड़, जानें कौन आगे

कोरोना वैक्सीन बनाने को लेकर देशों के बीच लगी है होड़, जानें कौन आगे

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की होड़ सभी देशों में है। रोजाना नई-नई बातें वैक्सीन को लेकर सामने आ रही है। फिलहाल माडर्ना, फाइजर व गेमेलिया की कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण परिणामों की अंतरिम रिपोर्ट सामने आई है, लेकिन देशों के बीच वैक्सीन को हासिल करने की होड़ मच गई है। विकसित देश किसी भी कीमत पर वैक्सीन खरीदने में सक्षम है। विकासशील देश भी उसे हाशिल करने की क्षमता रखते हैं। लेकिन इस दौड़ में गरीब देश पिछड़ जाएगें। देशों के बीच वैक्सीन पाने की होड़ कई अन्य विसंगतियों को भी जन्म देगी।

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6.4 अरब खुराक का हो चुका है सौदा, 3.2 अरब के लिए चल रही बात

परीक्षण के अंतरिम परिणाम बताते है कि दो कोरोना वैक्सीन काफी असरदार साबित हो सकती है। कई अन्य परीक्षण के अंतरीम दौर में पहुच चुकी है और बड़ी संख्या में वैक्सीन ऐसी भी है, जिनके सकारात्मक रूझान साने आए है। हांलाकि अभी किसी भी वैक्सीन को हरी झंडी नहीं मिली है। लेकिन देशों के बीच इनके खरीद की होड़ लग गई है। उत्तरी कैरोलिना स्थित यूएस-ड्यूक यूनिवर्सिटी का एक अहम शोध केंद्र देशों व कंपनियों के बीच के सौंदों पर नजर रख रहा है। इसका मानना है कि भरोसेमंद वैक्सीनों की 6.4 अरब खुराक पहले ही बिक चुकी है, जबकि 3.2 अरब खुराक के लिए बातचीत चल रही है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स एंड पॉलिटिकल सांइस से संबंधित ग्लोबल हेल्थ पॉलिसी की असिस्टेंट प्रोफेसर क्लेयर वेनहाम का कहना है कि दवा उद्दयोग में अग्रिम खरीदारी का प्रचलन है। इससे उत्पाद के तेजी से विकास व परीक्षण के लिए फंड जुटाने में मदद मिलती है।

जिसका निवेश, उसकी दावेदारी ज्यादा

वेनहाम कहती है कि जो शुरुआती दौर में उत्पाद के लिए निवेश करेगा, वैक्सीन पर उसका दावा ज्यादा होगा। इस क्रम में उच्च विकसित देश आगे निकल जाएगें। क्योंकि उन्होंने काफी निवेश कर रखा है। कुछ मध्यम आय वाले देश भी वैक्सीन खरीद में सक्षम है। ब्राजील व मैक्सिको जैसे देश जिन्होंने क्लीनिकल ट्रायल की मेजबानी की है, वे वैक्सीन की खरीद में लाभ उठाएगें। उदाहरण के लिए सीरम इंस्टीट्यूट इसके लिए प्रतिबध्द है कि कोरोना वैक्सीन की जितनी खुराक का उत्पादन करेगी, उनमें से आधी का वितरण देश के भीतर करेगी। इसी प्रकार इंडोनेशिया ने चीनी वैक्सीन के साथ करार कर रखा है, जबकि ब्राजील का यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड व एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता है।

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